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_____________मां_____________
मुझे जिंदगी जो मीली उसमे थी तेरी हि काया,
आंखे जब खुली तो तुझे हि अपने सामने पाया,
तुने मुझे कभी हसना तो कभी बोलना सिखाया,
मेरी अंगुलीयां थाम मुझे तुने चलना सिखाया,
जब जब लगा मुझे डर इस अंधेरी जीवन से,
तुने मुझे अपने आंचल तले गोंद मे सुलाया,
मेरे जागने से लेकर सोने तक को,
तुझे कभी एक पल को चैन ना आया,
जो रोया मै कभी एक पल को भी,
तुने मुझे अपने अम्रित जैसे दूध को पिलाया,
तु कल भी थी और आअ भी हिस्सा है मेरी जिंदगी का,
तेरे बगैर मै कहां एक पल को सुकुन से जी पाया,
जो एक पल को भी गयी तु दूर मुझसे,
तो अपनी आंखो से आंसुओं को गीरने से ना रोक पाया,
ऐ मां तेरे हि आंचल तले मैंने अपने जीवन का स्वर्ग पाया,
तेरी हि दि हुई इस जिंदगी से मै एक इंसान बन पाया,
तेरी हि दिन रात कि दुआओं से का असर है मेरी मां,
जो मै इस गुमसुदा जिंदगी मे एक पहचान बना पाया….!!
लेखक : रोशन धर दुबे लेखन तिथी : 7 सितम्बर 2012
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