Shayri By Roshan
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यौवन तरस गया है अब मेरा,
तेरी चाहत मे मिट जाने को,
तु ना आया मोरे सजना,
मै देखुं तेरी रहिया हर आहट के आने को,
जबसे दूर गये तुम मोरे सजना,
खो बैठी मै अपना हर सपना,
तु जल्दि घर आजा सजना,
घर का आंगन है सुना अपना,
दिन दिन तुझे अपनी गीतो मे पुकारुं,
रात अकेली मर मर के गुजारुं,
कैसे कहुं किससे कहुं,
कि तु था दिया मेरी जीवन का,
तेरे बिन मोरा जीवन लागे,
प्राण बिना मुर्ती सोने का,
मै करती हुं प्यार तोहि से,
है मेरा श्रिंगार तुम्हि से,
तुम बिन खोयी मै अंधियारी मे,
आजा साजन इस फगुआरी मे..!
यौवन तरस गया है अब मेरा,
तेरी चाहत मे मिट जाने को,
तु ना आया मोरे सजना,
मै देखुं तेरी रहिया हर आहट के आने को,
लेखक : रोशन धर दुबे
लेखन तिथी : (5 मार्च 2012, सायंकाल 5 बजे )
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