Shayri By Roshan
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खेता रहा मै अपनी नावं,
अपने उम्मीदों के भवंर मे ।
अब तक मंजिल ना मिली मुझे,
मेरे सपनो के सहर मे ।।
झूमता रहा मै अब तक,
आंसुओ कि मोती लिये,
जो कभी मीला अपनो कि खुशी,
तो कभी जिंदगी के गम मे ॥।
लेखक : रोशन धर दुबे
लेखन का सही तिथि : 18/1/2012
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